लेखनी कहानी -27-Oct-2022 मेरी मां
शीर्षक-मेरी मां
मंदिर की मूरत है मेरी मां,
प्रेम की सूरत है मेरी मां।
आंचल में होता छांव,
गोद में मिलता हमें प्यार।।
सुबह उठकर छुयूं चरण,
वो है मेरी भगवन।
जब भी करता शुभ काम,
मेरी मां का लेता नाम।
मेरा परिवार मेरा मंदिर,
मेरी मां ममता की मूरत।
मां की हूं मैं परछाई,
सारी दुनिया है उसमें समायी।
मेरी मां से सारा जहां,
मेरे दिल में मेरी मां की शमा।
मेरे घर की रौनक मेरी मां,
हर त्योहार की आहट मेरी मां।
कभी भी ना टूटे बंधन,
ऐसा होता मां बच्चों का संबंध।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा
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Mahendra Bhatt
29-Oct-2022 01:03 PM
शानदार
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Haaya meer
28-Oct-2022 07:06 PM
Amazing
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Sachin dev
28-Oct-2022 04:11 PM
Nice 👌
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